When nature is at it best, more than anything it is the blessing, the treasure we possess uncared for.
"आसमां में बर्फ़ के फाये
तितलियों से फड़फड़ाये
अचानक अधर में अटक से जाये
झूम-झूम के धरा से मिलने आये...
"जब कोई अखिल राष्ट्रीय मुद्दा हिंसक, भ्रामक, विभाजक एवं आगजनक होने लगे; तो देश के सभ्य नागरिकों का यह परम् कर्त्तव्य बनता है कि कोई पक्ष लेने कीबजाये, तार्किक रूप से विचार कर मानवीय एवं राष्ट्रीय पक्ष को तरज़ीह दें ! राष्ट्र को अपनी राजनीतिक एवं आर्थिक महत्वकांक्षाओं से आगे रखें ! मानवता को अपनी मज़हबी पहचान से ऊपर रखें !" -सत्यन