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कोरोना काल सिद्ध हो सकता है किसान के लिए वरदान I Corona Crises, Boon or Bane For Farmers ?

Deepak Mehta

कोरोना महामारी ने मानव जीवन की बुनियाद को हिला कर रख दिया है। विश्व अर्थव्यवस्था तहस नहस नज़र आ रही है। छोटे-बड़े सभी उद्योग इसके प्रभाव से बमुश्किल बच पाए हैं ।  कृषि क्षेत्र भी अपवाद नही है। 


लेकिन लॉकडाउन प्रथम चरण के दौरान जब सब कुछ थमता हुआ नजर आ रहा था, तब केवल कृषि क्षेत्र ही पहले की भांति निरन्तर चल रहा था । ग्रामीण आँचल तक लॉकडाउन धीरे धीरे ही पहुंच रहा था । कृषि क्षेत्र में न कोई रुकावट और न कोई बाधा नज़र आ रही थी। लगभग सब कुछ सही तरीके से गतिमान था। लॉक डाउन के उपरांत कोरोना की काली छाया कृषि पर तब पड़ती नज़र आई जब किसानों ने अपने उत्पाद को इकट्ठा करना शुरू किया और अपनी फसलो को बाजार तक पहुंचाने में अनेक बाधाओं को अपने समक्ष पाया ।

स्थानीय स्तर पर यदि उदाहरण दिया जाए तो सोलन(हि० प्र०) के आस पास मटर, गोभी व् अन्य सब्जियों के सही दाम नहीं मिले।जिससे किसान को उन फसलों को फेंकना पड़ा या फिर पशुओं को खिलाना पड़ा।


व्यापक दृष्टि से देखें तो इस त्रासदी के कृषि संबंधित सुखद पहलू भी उजागर हुये हैं ! इस त्रासदी ने कृषि क्ष्रेत्र की ओर सरकार के नकारेपन को उजागर किया है ।  कृषि की ओर सबका ध्यान आकर्षित हुआ है। उदाहरण के लिए, उन असंख्य ग्रामीणों (जो अपने गाँव में खेत-खलिहान की विरासत छोड़ शहर में दो वक्त की रोजी रोटी कमाने में व्यस्त हो गए थे) का रुख अपने गांव की ओर थोड़े समय में हो गया । निःसन्देह उन्हें अनेक प्रकार की यातनाओं से गुज़रना पड़ रहा है ।


शायद तभी हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी जी ने महामारी के चलते किसान की बदहाली पर चिंता ज़ाहिर की है। शायद इसी का ही नतीजा है कि कृषि से सम्बंधित अधिनियमो में संशोधन के व्यवहारिक विचार और कार्य  होने लगे हैं। केंद्र सरकार द्वारा खरीफ की 14 फसलों का समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाना इसका एक अहम हिस्सा है।


मेरे 20 वर्षो का किसानी अनुभव कहता है कि सदियों से कृषि क्षेत्र सरकार की उपेक्षा का दंश झेलता आया है । देश में कृषि क्षेत्र की कमियों की ओर न तो कोई विशेष ध्यान दिया गया है और न ही राष्ट्रव्यापी कृषि सुधार के आपेक्षित प्रयास किए गये हैं ।


और यदि कोरोना काल में यह क्षेत्र प्राथमिकता की सूची में कहीं शामिल हो रहा है, तो यह कहना अनुचित न होगा कि कोरोना महामारी कृषि क्षेत्र के लिए शुभ संकेत भी लेकर आई है । कोरोना महामारी से न केवल कृषि की ओर देश का ध्यान आकर्षित हुआ है बल्कि कृषि के महत्व का भी एहसास हुआ है । 


कोरोना महामारी कृषि के लिए वरदान साबित हो इसके लिए यह ज़रूरी है कि हमारी सरकारें उन सभी प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष सहायता का प्रावधान करें जो इस महामारी के दौर में शहरों से अपने घर लौटे हैं। ताकि वे अपनी कृषि की धरोहर को पुनः सहेज सके, स्वावलंबी बनें, आत्मनिर्भर बनें, शहर की बजाय गांव में ही कृषि लघु उद्योगों से अपने जीवन की गुज़र बसर कर सके । यह कोरोना चुनौती सबके लिए अवसर लेकर आई हैं । यदि व्यापक स्तर पर हम महामारी को नियंत्रित करने में सफल हो जाते  हैं, कृषि क्षेत्र में आई चुनौतियों में अवसर ढूंढ सकते हैं, तो कोरोना काल कृषि क्षेत्र के लिए वरदान सिद्ध होगा।

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