Shiksha Kranti-GESM -NGO
Apr 10, 20201 min
Updated: Apr 13, 2020
"आज पूरी दुनिया में शायद ही भारत जैसा कोई देश हो जहाँ किसानों से इतना अत्याचार और महिलाओं से इतना दुराचार हो रहा हो । लेकिन यह भी कटु सत्य है कि इस दुर्दशा के लिए यदि कोई सबसे ज्यादा जिम्मेदार है, तो वे स्वयं है । जहां एक ओर हम किसानों का अपनी मिट्टी से वो रूहानी रिश्ता नही रहा, (माँ तुल्य ज़मी बाज़ार की वस्तु बनने लगी है) वहीं दूसरी ओर स्त्रियों में स्त्रैण भाव विलुप्त सा हो गया है (अब स्त्रियों में स्त्री सुलभ संयम, शर्म, हय्या आदि कम ही देखने को मिलते हैं) इनकी दुर्दशा को सुधारने के लिए कहीं कोई बाहर से नहीं आयेगा, इन्हें स्वयं जागना होगा । एक राष्ट्र के बतौर यदि हम किसान को उसके हक का सामान और नारी को उसके हक का सम्मान नहीं दे सके, तो हम कभी भी "सभ्य" और "विकसित" राष्ट्र नहीं बन पायेंगे" सत्यन